User shivmohan | Published | Dofollow Social Bookmarking Sites 2016
Facing issue in account approval? email us at info@ipt.pw

Click to Ckeck Our - FREE SEO TOOLS

Avatar
Shivmohan

http://kabir-k-dohe.blogspot.com
Shiv Mohan is from Delhi, India
0 Following 0 Followers
1
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये ।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए ॥

भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, जब उन्होंने चलती हुई चक्की (गेहूं पीसने या दाल पीसने में इस्तेमाल किया जाने वाला यंत्र) को देखा तो वह रोने लगे क्योंकि वह देखते हैं की किस प्रकार दो पत्थरों के पहियों के निरंतर आपसी घर्षण के बीच कोई भी गेहूं का दाना या दाल साबूत नहीं रह जाती, वह टूटकर या पिस कर आंटे में परिवर्तित हो रहे हैं। कबीर दास जी अपने इस दोहे से कहना चाहते है कि जीवन के इस संघर्ष में...
पूरा पढ़े -> https://bit.ly/2Py8NwK

#KabirKeDohe #Hindi #Poetry #KabirAmritwani #SantKabir #KabirDas #HindiDohe
1
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ||

भावार्थ: बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर...
पूरा पढ़े -> http://bit.ly/3tiqWgx

#KabirKeDohe #Hindi #Poetry #KabirAmritwani #SantKabir #KabirDas #HindiDohe
1
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।

भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, जब मैंने इस संसार में बुरे लोगो को खोजा, तो मुझे कोई भी बुरा आदमी नहीं मिला| परन्तु जब अपने अंदर झाँका (अपनी अंतरात्मा...
पूरा पढ़े -> http://bit.ly/3livpx4

#KabirKeDohe #Hindi #Poetry #KabirAmritwani #SantKabir #KabirDas #HindiDohe